यहां कभी चलती थी गोलियां , लेकिन अब चलेंगे बल्ले

खबरें अभी तक। कहते है कि बुराइयों को मिटाने के लिए एक कदम अगर अच्छाइ की तरफ बढ़ाया जाए तो बुराई अपने आप अपना कदम पीछे पर लेती है।कुछ ऐसा ही नजारा श्रीलंका में भी देखा गया. श्रीलंका का जाफना इलाका कभी लिट्टे के उग्रवादियों का गढ़ हुआ करता था और वहां उग्रवादियों को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. लेकिन अब वहां क्रिकेट के गुर सिखाए जाएंगे और बल्ले के धमाल मचाया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने जाफना में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम तैयार करने का फैसला किया है.

श्रीलंका क्रिकेट (SLC) बोर्ड की एक टीम ने यहां का दौरा कर जमीन और जगह का मुआयना भी किया. बोर्ड अध्यक्ष तिलंगा सुमतिपाला खुद अन्य सदस्यों के साथ यहां पहुंचे और इलाके का जायजा लिया. उन्होंने बताया कि स्टेडियम निर्माण के लिये 50 एकड़ का प्लॉट देखने के लिये वह जाफना जिले के काइट्स क्षेत्र के मांडेथिवु में गये थे. श्रीलंका के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम पश्चिम, दक्षिण या मध्य क्षेत्र में ही स्थित हैं.

जाफना अल्पसंख्यक तमिल समुदाय की सांस्कृतिक राजधानी है. उसका क्रिकेट से जुड़ा लंबा इतिहास रहा है लेकिन सत्तर के दशक के मध्य से अलगाववादियों के साथ तीन दशक तक चली हिंसा के कारण इस क्षेत्र में क्रिकेट का आधारभूत ढांचा तैयार नहीं हो पाया.

अब तक कुछ तमिल क्रिकेटर ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रीलंका की तरफ से खेले हैं. इनमें विश्व में सर्वाधिक विकेट लेने वाले मुथैया मुरलीधरन भी हैं जो भारतीय मूल के हैंय क्रिकेटर से कमेंटेटर बने रसेल अर्नाल्ड भी तमिल हैं. यहां क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण से न केवल इस इलाके की पहचान बदलेगी बल्कि श्रीलंका की ओर से खेलने के लिए नई प्रतिभाएं भी तैयार होनी की उम्मीद है.