कासगंज बवालः हिंसा ने नहीं जुड़ने दिए दिल के तार, अधूरे रह गए निकाह के अरमान

खबरें अभी तक। हाथों में हिना, मन में अरमान और चेहरे पर खुशी, मगर दंगे की आग ने सब कुछ खाक कर दिया। पिछले एक महीने से चल रहे निकाह के सारे इंतजाम दंगे की आग में झुलस गए।

खुशियों से सराबोर माहौल के बीच दंगे की चिंगारी ने ऐसी आग लगाई कि सब कुछ सन्नाटे में तब्दील हो गया। दुल्हन के लिबास में सजने को बेकरार आफसा के अरमान भी चूर हो गए परिवारीजनों की चिंता भी बढ़ गई। शुक्रवार को कासगंज के बिलराम गेट पर उपद्रवियों के उत्पात ने नगला सईद निवासी शमसुद्दीन अल्वी के परिवार की हवाइयां उड़ा दीं। दरअसल, शमसुद्दीन की बेटी आफसां का निकाह 27 जनवरी को बिलराम गेट निवासी युवक के साथ होना था।

सारी तैयारियों को रोक दिया-

परिवार में शुक्रवार को तैयारियां चल रही थीं। उत्तर मध्य रेलवे के बारातघर को सजाने का काम शुरू हो गया लेकिन बवाल के कारण खटाई में पड़ गया। आलम यह रहा कि हिंसा के बाद आफसां की आंखें आसूं से भर गईं, तो मन में निकाह को लेकर सजे अरमान कुबूल नहीं हो सके।

परिजनों ने भी हिंसा को देखते हुए सारी तैयारियों को रोक दिया। पिता शमसुद्दीन ने बताया कि हिंसा के बाद बेटी के निकाह की तैयारियों को रोक दिया है। थोड़ी दिक्कत हुई है, मगर जब शहर में अमन चैन नहीं है, तो हम कैसे अपनी खुशियां मना सकते हैं। उन्होंने बताया कि अब निकाह की तारीख आगे बढ़ा दी गई है।

आफसां के निकाह को लेकर रिश्तेदारों के आने का भी सिलसिला शुरू हो चुका था। हिंसा और दंगों के बाद रिश्तेदारों की भी चिंता बढ़ गई। रिश्तेदार दंगे को देखते हुए आफसा के घर पर ही रुकने को मजबूर हुए।