दक्षिण कोरिया सरकार के लिए हर बार अपशगुन साबित हुई है उत्तर कोरिया से हुई वार्ता

कोरियाई देशों के बीच विंटर ओलंपिक ने जो शांति की राह खोली थी वह अब अपने मुकाम की तरफ जाती दिखाई दे रही है। इस माह की 29 तारीख को उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच वार्ता होनी है। इसमें दोनों देशों के तीन-तीन प्रतिनिधि हिस्‍सा लेंगे। दक्षिण कोरिया ने इसकी जानकारी दी है। उत्तर कोरिया के दल का प्रतिनिधत्‍व वहां फादरलैंड समिति के चेयरमैन री सोन क्वोन और दक्षिण कोरिया की तरफ से वहां के एकीकरण मंत्री म्योंग-ग्योन करेंगे। इसके बाद मई में अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच वार्ता होनी है। लेकिन इतिहास गवाह है कि उत्तर कोरिया से चाहे अमेरिका ने वार्ता की हो या दक्षिण कोरिया ने, वह हमेशा ही विफल रही है। इतना ही नहीं दक्षिण कोरिया के लिए तो हर वार्ता ही अपशगुन साबित होती रही है।

वर्ष 2000 में उत्तर और दक्षिण कोरिया के प्रमुखों की मुलाकात प्‍योंगयांग में हुई थी। उस वक्‍त उत्तर कोरिया पर मौजूदा तानाशाह किम के पिता किम जोंग इन का शासन था। दक्षिण कोरिया की तरफ से वहां के प्रुमख किम डे जंग प्‍योंगयांग पहुंचे थे। दोनों देशों के आजाद राष्‍ट्र बनने के बाद से यह उनकी पहली मुलाकात भी थी। यह मुलाकात काफी अच्‍छे माहौल में हुई थी। इस दौरान यह भी समझौता हुआ कि दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया के केसोंग में फैक्‍ट्री और पार्क स्‍थापित करेगा। लेकिन इस मुलाकात के बाद दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति की छवि को गहरा धक्‍का लगा। दरअसल, इस मुलाकात के बाद यह बात सामने आई थी कि मुलाकात से पहले दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को 450 मिलियन डॉलर की राशि दी थी।

2007 में एक बार फिर से दोनों कोरियाई देशों के प्रमुखों के बीच वार्ता हुई थी। इस बार किम जोंग इल और रो मो ह्यून इस बैठक में शामिल हुए थे। यह बैठक भी काफी अच्‍छे माहौल में हुई और दोनों देश एक समझौते पर भी पहुंच गए थे। इस बैठक में दोनों देशों के बीच तनाव कम करने, समुद्री सीमा सुरक्षा को मजबूत करने पर समझौता हुआ था। लेकिन कुछ समय में बाद रो मू की सरकार गिर गई और इस डील का हाल भी पहले की ही तरह हुआ था।