दुनिया पर गहराया अमेरिका-चीन में ट्रेड वार का साया

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने ट्रेड वार की ओर खुलकर कदम बढ़ा दिए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) द्वारा पिछले दिनों चीन से आ रहे सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने के जवाब में शुक्रवार को चीन ने अमेरिका से आ रहे 300 करोड़ डॉलर (करीब 20,000 करोड़ रुपये) मूल्य के सामानों पर और ज्यादा आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है। इतना ही नहीं, चीन ने खुले तौर पर अमेरिका को धमकी दी है कि अगर उसके वाजिब अधिकारों और हितों को अमेरिका ने कोई भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, तो वह हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेगा।

गुरुवार को एक तरफ अमेरिका ने चीन से आयातित 5,000 करोड़ डॉलर (तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य से ज्यादा) के सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाकर चीन के बराबर करने का फैसला किया। दूसरी तरफ उसने शुक्रवार को यूरोपीय यूनियन समेत अर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, मैक्सिको और दक्षिण कोरिया को अपने आयात शुल्क के दायरे से पहली मई तक के लिए बाहर कर दिया है। इसके साथ ही उसने शुक्रवार को चीन को बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) के मामले पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भी घसीट लिया। इससे बौखलाए चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका से आ रहे 128 तरह के सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है। इनमें पोर्क (सूअर का मांस), वाइन, सूखे मेवे, स्टील के ट्यूब्स और अन्य जरूरी सामान शामिल हैं।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, ‘हम हर तरह की चुनौती के लिए तैयार हैं। हम अपने अधिकारों और हितों की रक्षा में पूरी तरह सक्षम हैं और उस पर आंच आने की हालत में हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेंगे।’ हालांकि मंत्रालय ने यह भी उम्मीद जताई कि अमेरिका द्विपक्षीय आर्थिक रिश्तों को खतरे में नहीं ले जाएगा। वैसे, अमेरिका में चीन के दूतावास ने भी बयान जारी कर कहा कि ट्रेड वार की स्थिति में चीन डरने वालों में नहीं है।

चीन की समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक मंत्रालय ने कहा कि अगर दोनों देश तय समय में किसी समझौते पर नहीं पहुंच सके, तो पहले चरण में चीन अमेरिका से आ रहे 128 सामानों पर 15 फीसद आयात शुल्क लगाएगा। उसके बाद अमेरिका द्वारा शुल्क लगाने के प्रभावों का आकलन किया जाएगा और दूसरे चरण में अमेरिकी सामानों पर 25 फीसद शुल्क लगाया जाएगा।

चीन से आ रहे सामानों पर आयात शुल्क लगाने के फैसले पर हस्ताक्षर करने के बाद गुरुवार को ट्रंप ने कहा था कि चीन के साथ अमेरिका का कारोबारी घाटा नियंत्रण के बाहर पहुंच गया है और आयात शुल्क लगाने का यह कदम कई अन्य कदमों का एक हिस्सा भर है।