टाटा स्टील की होगी भूषण स्टील, कंपनी की एसेट्स बिक्री का रास्ता हुआ साफ

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा स्टील ने दावा किया है कि इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के तहत भूषण स्टील के अधिग्रहण के उसके प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई है। आइबीसी यानी दिवालिया कानून आने के बाद 12 बड़े एनपीए डिफॉल्टर कंपनियों पर दिवालिया प्रक्रिया शुरू की गई थी। इनमें से भूषण स्टील पहली कंपनी है जिसकी परिसंपत्तियां बेचने का रास्ता साफ हो गया है।

आइबीसी के तहत बैंकों ने अपने बकाये कर्ज की वापसी के लिए भूषण स्टील को दिवालिया घोषित करते हुए उसकी परिसंपत्तियों को बेचकर कर्ज वसूलने की प्रक्रिया शुरू की थी। प्रक्रिया की निगरानी के लिए कर्ज देने वाले बैंकों ने कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) गठित की है। इस समिति ने टाटा स्टील के अधिग्रहण प्रस्ताव को सबसे योग्य ठहराते हुए हरी झंडी दिखा दी है। टाटा स्टील की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ने 22 मार्च, 2018 को अपनी बैठक में टाटा स्टील को सफल दावेदार घोषित किया है। अब नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) की मंजूरी लेने के बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी मानी जाएगी।

भूषण स्टील की तरफ से शेयर बाजार को इस बारे में जानकारी दे दी गई है। अधिग्रहण के लिए दी जाने वाली राशि का अभी खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन माना जा रहा है कि यह राशि तकरीबन 35 हजार करोड़ रुपये होगी। भूषण स्टील पर विभिन्न बैंकों का 48,100 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। रिजर्व बैंक ने फंसे कर्जे यानी एनपीए की वसूली के लिए आइबीसी यानी दिवालिया कानून के तहत पहले चरण में जिन 12 कंपनियों (बड़े एनपीए खाताधारक) का चयन किया था, उनमें भूषण स्टील भी था। जिंदल समूह की जेएसडब्ल्यू ने भी इसके लिए दाव लगाया था।

जानकार मान रहे हैं कि भले ही थोड़ी बहुत कानूनी अड़चन आगे आए लेकिन इससे टाटा स्टील के दावेदारी को एनसीएलटी व सीसीआइ से हरी झंडी मिलने में कोई खास दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सरकार की भी मंशा यह है कि आइबीसी के तहत इन दर्जन भर एनपीए खातों के बारे में जल्द से जल्द फैसला हो ताकि बैंकों को उनके बकाये कर्ज मिल सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व वित्त मंत्री अरुण जेटली हाल में कई बार सरकारी बैंकों के बढ़ते एनपीए के लिए पूर्व की यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। आइबीसी के तहत एनपीए पर अंकुश लगाकर केंद्र सरकार मजबूती से यह दावा करेगी कि उसने यूपीए सरकार के कार्यकाल में पैदा की गई एक बड़ी आर्थिक समस्या का समाधान खोज निकाला है। टाटा स्टील जैसी कंपनी के हाथों में भूषण स्टील का प्रबंधन जाने के प्रस्ताव पर कर्मचारियों का समर्थन लेना भी आसान होगा।