टीबी की रोकथाम के लिए एम्स ने बनाई योजना, पूर्वोत्तर में टीबी पर काबू पाने के लिए ड्रोन की मदद

पूर्वोत्तर के रास्ते देश भर में फैल रहे मल्टीड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर)- टीबी के संक्रमण के मद्देनजर एम्स के डॉक्टरों ने दुर्गम इलाकों में टीबी की रोकथाम व इलाज में ड्रोन के इस्तेमाल की योजना तैयार की है, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति भी दे दी है।

हालांकि, इस योजना की राह में कुछ अड़चनें भी आ रही हैं। एम्स के डॉक्टर उसका हल निकालने में लगे हुए हैं। यदि योजना परवान चढ़ी तो एम्स के डॉक्टर ड्रोन की मदद से पूर्वोत्तर में टीबी पर अंकुश लगाएंगे। ड्रोन के निशाने पर चीन के बीजिंग स्ट्रेन का एमडीआर टीबी प्रमुख रूप से होगा।

उल्लेखनीय है कि एम्स के डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई थी कि सेंट्रल एशियन स्ट्रेन (सीएएस) जीनोटाइप के माइक्रोबैक्ट्रियल जीवाणु के चलते देश में अधिक लोग टीबी से पीड़ित होते हैं। ईस्ट अफ्रीकन इंडियन (ईएआइ) स्ट्रेन इस बीमारी के लिए दूसरा व बीजिंग स्ट्रेन तीसरा बड़ा कारण है। तब शोध में यह बात सामने आई थी कि देश में एमडीआर टीबी का सबसे बड़ा कारण बीजिंग स्ट्रेन का जीवाणु है।

एमडीआर टीबी ऐसी परिस्थिति होती है जब मरीजों पर दवाएं असर नहीं करतीं। शोध में एमडीआर टीबी के 43.3 फीसद मामले के लिए बीजिंग स्ट्रेन को जिम्मेदार पाया गया था। असम व अरुणाचल प्रदेश में इसका संक्रमण अधिक है।