पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी का 13 हजार करोड़ रुपये का घोटाला उजागर होने के बाद बैंकिंग सेक्टर में कई फ्रॉड सामने आने लगे हैं. धीरे-धीरे कई बड़े कारोबारियों और उनके द्वारा किए जा रहे घोटालों की लिस्ट लंबी होती जा रही है. नीरव मोदी के इस घोटाले के बाद 7 ऐसे बैंकिंग फ्रॉड सामने आए हैं, जिनसे सरकारी बैंकों को काफी बड़ी चपत लगी है. नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के पीएनबी में किए गए 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के साथ इन अन्य घोटालों की रकम जोड़ दें, तो इनकी बदौलत बैंकों को 23 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगी है.
क्या है पीएनबी घोटाला:
पंजाब नेशनल बैंक में फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के जरिये घोटाला करने का मामला सामने आया है. जांच एजेसियां लगातार इस मामले की जांच-पड़ताल कर रही हैं. धीरे-धीरे इस घोटाले की परतें खुल रही हैं. 11300 करोड़ रुपये की रकम का यह घोटाला अब 13 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. फिलहाल मामले में जांच जारी है.
रोटोमैक घोटाला
कानपुर के व्यापारी विक्रम कोठारी पर कई बैंकों की करीब 3००० करोड़ की देनदारी वापस न देने का आरोप है. कोठारी के खिलाफ 3,695 करोड़ रुपये के बैंक लोन फ्रॉड को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है. पीएनबी महाघोटाले के तुरंत बाद यह एक और मामला देश भर में सुर्खियों में आया था. इस मामले में सीबीआई ने विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी को गिरफ्तार कर लिया है.
क्या है मामला?
विक्रम कोठारी ने 2012 में अपनी कंपनी रोटोमैक के नाम पर सबसे पहले इलाहबाद बैंक से 375 करोड़ का लोन लिया था. इसके बाद यूनियन बैंक से 432 करोड़ का लोन लिया. इतना ही नहीं विक्रम कोठारी ने इंडियन ओवरसीज बैंक से 1400 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया से लगभग 1300 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा से 600 करोड़ रुपये का लोन लिया, लेकिन किसी बैंक का लोन चुकता नहीं किया. आरोप है कि बैंक अधिकारियों की मिली भगत से विक्रम कोठारी बैंको का लगभग तीन हजार करोड़ रुपया दबा कर बैठ गए. उनकी रोटोमैक कम्पनी पर भी ताला लग गया. बैंकों ने विक्रम कोठारी के सभी लोन के सभी खातों को एनपीए घोषित कर दिया.
कनिष्क ज्वैलर्स
चेन्नई की एक गोल्ड कंपनी कनिष्क ज्वैलर्स ब्रैंड नाम के साथ काम करती है और कई रिटेल स्टोर पर अपने गहने बेचती है. इस कंपनी को एसबीआई समेत 14 बैंकों ने उधार दिया था. इस कंपनी को करीब 747 करोड़ रुपये की वर्किंग कैपिटल फैसिलिटी दी गई थी. इसके अलावा कंपनी ने एसबीआई से कुछ निश्चित अवधि के लोन भी लिए थे. यह घोटाला कुल 834 करोड़ रुपये का है.
आरोप हैं कि कंपनी ने गलत रिकॉर्ड दिखाए और देनदार बैंकों के पास से स्टॉक भी हटा लिया था. इसके अलावा कंपनी ने अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट में स्टॉक की मात्रा की भी गलत जानकारी दी थी. इसके सेल्स रजिस्टर में भी अनियमितताएं पाई गई थीं. इसने फंड डायवर्जन भी किया और असामान्य ट्रांजैक्शन भी किए.
रीड एंड टेलर
कभी अमिताभ बच्चन को आपने टीवी पर रीड एंड टेलर के शूट पहने हुए इसका प्रचार करते देखा होगा, लेकिन आज यही कंपनी दिवालिया होने के कगार पर खड़ी हो गई है. रीड एंड टेलर की पैरेंट कंपनी एस. कुमार्स नेशनवाइड (SKNL) ने बैंकरप्टसी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कंपनी के प्रमोटर नितिन कसलीवाल ने 5 हजार करोड़ रुपये का एक लोन न चुका पाने के बाद यह कदम उठाया है.