पीएम नरेंद्र मोदी ने मोसुल में मारे गए भारतीयों के लिए शोक जताया, परिवारों को बंधाया ढांढस

ख़बरें अभी तक:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोसुल में मारे गए लोगों के शोक संतप्त परिवारों और प्रियजनों के लिए शोक जताया है. वहीं विदेश मंत्रालय, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के मोसुल में लापता भारतीयों के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की है.

पीएम मोदी ने आज ट्वीट कर कहा कि विदेश मंत्रालय के साथ साथ मेरी सहयोगी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और जनरल वीके सिंह ने मोसुल में लापता लोगों का पता लगाने और उनको वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. देश के बाहर रह रहे अपने भाइयों और बहनों की सुरक्षा के लिए हमारी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

मोसुल में जिन्होंने भी अपनी जान गंवाई है उनके प्रियजनों के लिए हरेक भारतीय को भारी शोक है. हम शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं और जो भारतीय नागरिक मोसुल में मारे गए हैं उनके प्रति हम सम्मान जताते हैं

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज संसद में 2014 में इराक के मोसुल शहर से लापता हुए 39 भारतीयों की हत्या की जानकारी दी. इराक के मोसुल शहर से लापता हुए 39 भारतीयों की क्रूर अबू बकर अल बगदादी के संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने हत्या कर दी है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज राज्यसभा में कहा कि डीएनए जांच के बाद मौत की पुष्टि की. 39 भारतीयों में 31 पंजाब, 4 हिमाचल प्रदेश और बिहार-पश्चिम बंगाल के 2-2 नागरिक शामिल हैं. विदेश मंत्री ने बताया, ”जिन 38 लोगों के शव मिलें हैं उनमें पंजाब के 27, हिमाचल के 4, बिहार के 6, पं बंगाल के 2 नागरिक हैं. जिस एक व्यक्ति का डीएनए पूरी तरह मैच नहीं हुआ है वो बिहार का है, उसका नाम राजू यादव है.”

सुषमा स्वराज ने कहा कि जल्द ही सभी भारतीयों के शवों को भारत वापस लाया जाएगा. विदेश मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस ने साढ़े तीन सालों तक गुमराह करने का आरोप लगाया है.

सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में 39 भारतीयों के मारे जाने की जानकारी देते हुए कहा कि हरजीत मसीह की कहानी सच्ची नहीं थी कि उनके सामने सभी भारतीय मार दिये गये. वीके सिंह (विदेश राज्य मंत्री) से कहा था कि वह मोसुल में कंपनी (जहां सभी काम करते थे) से बात करें. वीके सिंह ने मोसुल से यात्रा शुरू की. कंपनी और वीके सिंह की बात हुई. कंपनी ने बताया कि हमारे यहां 40 भारतीय काम करते थे. जिनमें बांग्लादेशी भी थे. जब आईएस ने मोसुल पर कब्जा करना शुरू किया तो कंपनी ने सभी से जाने के लिये कहा. उसके बाद इराक और अन्य देशों के नागरिक कंपनी छोड़कर चले गये. लेकिन भारतीय और बांग्लादेश के मजदूरों ने कंपनी नहीं छोड़ी.