सिद्धार्थनगर: शादी-बीमारी में बिना ब्याज और गारंटी कर्ज देता है यह बैंक, एक दर्जन गांवों के 1950 लोग हैं खातेदार

ख़बरें अभी तक: हजारों करोड़ के बैंक घोटालों और लाखों करोड़ के एनपीए के बीच यह खबर समाज को एक नई ताकत देने वाली है। सिद्धार्थनगर जिले के एक गांव बयारा में एक अनोखा बैंक है, जो शादी और बीमारी के लिए बिना ब्याज और गारंटी के कर्ज देता है। यहां कर्ज लेने के लिए किसी गारंटर या कागजात नहीं, बस पहचान की जरूरत होती है। विश्वास की डोर ऐसी मजबूत है कि आज तक बैंक का कोई भी कर्ज डूबा नहीं है।

डुमरियागंज कस्बे के बयारा गांव में 1980 से चल रहा यह बैंक 39 साल में तीन हजार से अधिक लोगों की मदद कर चुका है। बिना ब्याज-गारंटी के कर्ज देकर। जरूरतमंद कर्ज की रकम अपनी सुविधा से लौटाते हैं। अगर कोई बैंक में अपनी रकम रखना चाहता है, तो उसे भी सुरक्षित रखा जाता है लेकिन उसे ब्याज नहीं मिलता।

बयारा में 39 साल से चल रहा अनोखा बैंक

डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र के पहले सांसद रहे काजी जलील अब्बासी के भाई स्व. शकील अब्बासी ने 1980 में गरीबों की मदद के लिए वैतुलमाल सोसायटी की स्थापना की थी। जिसके माध्यम से गरीबों के मदद की शुरुआत की तब बैंक से 12-13 लोग ही जुडे़ थे। धीरे-धीरे बैंक से जुड़ने वालों की संख्या बढ़ती गई। अब बैतुलमाल बैंक से 1950 लोग जुड़े हैं। वे जरूरत के लिए बैंक से कर्ज लेते हैं और उसे सुविधानुसार वापस करते हैं।

बैतुलमाल बैंक में कर्ज की वाली रकम निर्धारित है। जरूरतमंद को 25-30 हजार रुपये ही कर्ज दिया जाता है। वह भी केवल दो जरूरतों पर। घर में किसी की शादी हो या कोई बीमार हो।

मौजूदा समय में सोसायटी के खाते में एक करोड़ रुपये हैं। इसके ब्याज से बेसहारों की मदद होती है। यह गरीब घरों की बेटियों की शादी में खर्च किया जाता है। संस्था के अध्यक्ष काजी फरीद अब्बासी व सचिव एडवोकेट उवैतुल बारी सोसायटी चलाते हैं। बैंक का कामकाज देखने के लिए भुइगवां गांव के इनामुल्लाह को प्रबंधक नियुक्त किया गया है। सोसायटी उन्हें 5700 रुपये प्रति माह पगार देती है।

बैंक में जमा एक करोड़

बैंक के खाताधारकों की ओर से जमा की गई छोटी-बड़ी धनराशि से बैंक के पास एक करोड़ रुपए हैं। जो सोसायटी के नाम से पूर्वांचल बैंक में खुले खाते में जमा किया जाता है। पहले खाताधारक जो रकम चाहे जमा कर सकते थे, लेकिन अब महज दो लाख रुपये ही जमा कर सकते हैं। इसके एवज में जमा करने वालों को भी कोई ब्याज नहीं दिया जाता है।

25 गांवों के लोगों से जुड़ाव

बैंक से बयारा सहित 25 गांवों के लोग जुड़े हैं। इनका बैंक में खाता है। वह जरूरत पड़ने पर बैंक से रकम लेते हैं और फिर अपनी सुविधा से वापस कर देते हैं। लोग अपना भी धन सोसायटी के खाते में जमा कर सुरक्षित रखते हैं। जब उन्हें जरूरत होती है तो उन्हें रकम आसानी से मिल जाती है।

पहले कई पीढ़ियां कर्ज में डूबी रहती थीं

पहले लोग साहूकारों से कर्ज लेते थे। ब्याज पर ब्याज लगने से चुका नहीं पाते थे। कई पीढ़ियां कर्ज में डूबी रहती थीं। लेकिन यहां की व्यवस्था से लोगों के साथ ही उनका पैसा भी सुरक्षित रहता है। साथ ही कर्ज का बोझ भी उन पर नहीं रहता है। -उबैदुल बारी, सचिव, बैतुलमाल सोसायटी

दो लाख से अधिक की रकम जमा नहीं की जाती

बैंक में लोग अपना पैसा भी जमा करते हैं, जिससे बैंक की रकम एक करोड़ पहुंची है। जमा करने वालों को कोई ब्याज नहीं दिया जाता है। बैंक से रकम पर जो ब्याज मिलता है, उसे गरीबों में खर्च किया जाता है। पहले कुछ भी रकम जमा कर ली जाती थी, लेकिन अब किसी की भी दो लाख से अधिक की रकम जमा नहीं की जाती है। –इनामुल्लाह, प्रबंधक, बैतुलमाल बैंक

इसी 5 मार्च को लखनऊ  में इलाज के दौरान डॉक्टर ने ऑपरेशन बता दिया तो घबरा गए। ऐसे में बैतुलमाल सोसायटी याद आई। सोसायटी के बैंक से 20 हजार रुपया मिल गया। ऑपरेशन रविवार को होना है। -सुजल राय, दुकानदार, बयारा चौराहा

पत्नी की तबीयत खराब हुई। पैसा नहीं था। बैतुलमाल बैंक से 20 हजार रुपए कर्ज लिया। दूसरे से कर्ज लेता तो कुछ दिन बाद ही लोग मांगने लगते है। बैंक से उधार लेने पर पैसा जल्दी जमा करने का कोई दबाव नहीं रहता है। किस्तों में भी पैसा आसानी से जमा किया जा सकता है। इसलिए बैंक से कर्ज लिया। – एजाज अहमद, क्षेत्रीय निवासी