डेंगू-चिकनगुनिया पर लगाम लगाने के लिए कोर्ट ने कसी सिविक एजेंसी की लगाम

दिल्ली हाईकोर्ट ने डेंगू चिकनगुनिया जैसी बीमारियों पर लगाम लगाने के लिए मानसून आने से पहले ही एजेंसियों पर लगाम कसनी शुरू कर दी है.  बता दें कि कोर्ट राजधानी में डेंगू, चिकनगुनिया की बढती संख्या और इन बीमारियों की रोकथाम में दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों के नाकाम रहने से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है.

15 लाख घरों में किया दवाई का छिड़काव-

सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने बताया कि 2018 में 14 मार्च तक इन बीमारियों के 9 केस सामने आए हैं. एमसीडी ने इस बार प्री मानसून से पहले घरों में इन बीमा​रियों की रोकथाम के लिए दवाईयों का छिड़काव शुरू कर दिया है. एमसीडी के वकील ने बताया की 2017 में उन्होंने 15 लाख घरों में दवाई का छिड़काव किया था.

700 लोगों के काटे चालान-

कोर्ट ने मामले में एमिकस क्यूरी को तीनों एमसीडी के इलाकों का दौरा कर मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल तक रिपोर्ट दायर करने को कहा है. वहीं सुनवाई के दौरान नॉर्थ एमसीडी ने बताया कि उन्होंने वेस्ट बर्निंग करने वाले करीब 700 लोगों के चालान काटे हैं, जिनसे तकरीबन 14 लाख रुपये वसूल किए गए है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अगर इतने पैसे चालान से मिल रहें हैं तो अच्छा है. एमसीडी को अपने सफाई कर्मचारियों को सैलरी देने में दिक्कत नहीं होगी. नॉर्थ और ईस्ट एमसीडी ने तीन माह से अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी है, और इसको लेकर याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

 ई- वेस्ट पर कोर्ट ने की चिंता जाहिर-

सुनवाई में हाईकोर्ट ने राजधानी में लगातार बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई- वेस्ट) पर भी चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने एमसीडी, दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड डीपीसीसी दिल्ली छावनी बोर्ड और सिविक एजेंसियों को ई- वेस्ट पर मजबूत नीति बनाने का आदेश दिया है.

बता दें कि फिलहाल ई- वेस्ट के लिए क्या नियम है. इसको लेकर कोई भी पक्ष संतोषजनक उत्तर कोर्ट को नहीं दे पाया, जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने सवाल खड़ा किया कि लगातार ई- वेस्ट लगातार बढ़ रहा है, तो इसके निस्तारण के लिए ठोस बंदोबस्त करना ही पडेगा. कोर्ट ने पूछा कि सब लोगों के कंप्यूटर, मोबाइल फोन पुराने हो रहे हैं, उनके डिस्पोजल की क्या व्यवस्था है?