विकलांग थी पर हौंसला नहीं छोड़ा
एक पांव से विकलांग जरूर थी मगर हौसला कभी नहीं छोड़ा। मन में ठान लिया था कि जो काम सामान्य लोग कर सकते हैं तो मैं क्यो नहीं। पति से भी सहयोग मिला। पैरा ओलंपिक में देश के लिए टेबल टेनिस टीम में खेलने का मौका मिला। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नेतृत्व करते हुए टेबल टेनिस में कई मेडल भी मिले। महिला दिवस पर वुमन कार रैली में खुद ड्राइव करूंगी। इच्छा बस इतनी है कि समाज में इस अवधारणा को मजबूत करूं कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं।
-पूनम, अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी
मां की प्रेरणा को बेटी ने आगे बढ़ाया
मां शुभ मोदगिल अच्छी शूटर हैं। वही मेरी प्रेरणा बनीं। वह एनसीसी कैडेट्स को शूटिंग रेंज में सिखाती थीं। 13 साल की उम्र में उनके साथ ही शूटिंग रेंज में जाती थी। निशानेबाजी का शौक पैदा हुआ। पहले साल में ही चंडीगढ़ की टीम में सलेक्ट हो गईं। प्रतिभा निखरती गई और नेशनल और इंटरनेशनल पर खेलने का मौका मिला और मेडल जीते।
-अंजुम मोदगिल, शूटर
मेहनत और लगन ने दिलाई सफलता
पहला एडवेंचर क्लब खोला
मेरी कंपनी नेचुरल स्टोन का कांसेप्ट लेकर आई थी। चंडीगढ़ में ग्यारह साल पहले यह काम शुरू किया तो 12 कर्मचारी थे। पूंजी कम लगी पर अब साल का टर्नओवर बेहतर है और सबसे अहम बात है कि मैं लोगों को जाब भी दे रही हूं। इसके अतिरिक्त चंडीगढ़ में सबसे पहला एडवेंचर क्लब खोलने का गौरव भी मुझको ही मिला।
सुप्रीत कौर, पार्टनर, बेस्टन एंड कंपनीस्वस्थ जीवन की प्रेरणा मान कौर
98 साल की हो गई हूं। मेरी उम्र तक अधिकतर लोग जी ही नहीं पाते। जो हैं वे बीमारियों से ग्रस्त चारपाई पर लेटे होते हैं। खेल-कूद सबसे अच्छा व्यायाम है। इससे न आप सिर्फ फिट रहते हैं, बल्कि सम्मान भी बटोरते हैं। इस उम्र में एथलेटिक्स में जब मैं मेडल जीतती हूं तो अमेरिकन भी मेरी सेहत का राज पूछते हैं। इस साल ही अमेरिका और कनाडा में दस गोल्ड मेडल जीते। सुबह साढ़े तीन बजे उठकर रोज पहले सैर करती हूं। सादा खानपान ही लंबे स्वस्थ जीवन का राज है।
-मान कौर, वेटरन एथलीट
खुद को भी और दूसरों को भी सशक्त किया
25 हजार महिलाओं को सशक्त किया
जब से होश संभाला महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ करने की तमन्ना थी। वन विभाग में नौकरी मिली और वही इसके लिए प्लेटफार्म बना। सरकार की ओर से चलाए गए साझा वन प्रबंधन कार्यक्रम के तहत ग्रामीण महिलाओं की समस्या को नजदीक से देखा। अंबाला और यमुनानगर के दस ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की स्थिति पर शोध किया।ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम शुरू किया। घर-घर जाकर महिलाओं से संपर्क किया। उनके उत्थान के लिए कार्यक्रम बनाए। दो लाख रुपये का रिवाविंग फंड तीन फीसदी की ब्याज पर महिलाओं को दिलवाया ताकि वे अपना बिजनस व अन्य कार्य कर सकें।
फुलकारी, फ्लोरमील कल्चर, जैविक खाद्य, जैविक खेती, शॉप, ब्यूटीपार्लर, डेरी, आदि कार्यों का प्रशिक्षण दिलवाया। इस तरह हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र की 25 महिलाओं को सशक्त कर समाज में सम्मान दिलवाया। ये वही महिलाएं हैं जो आज से पंद्रह साल पहले घरों से निकलकर बात करने से भी कतराती थीं।
-डॉ. अमरिंदर कौर, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षण अधिकारी
हालातों के आगे कभी झुकी नहीं
नहीं था आसान थिएटर को चुनना
थिएटर मेरी जिंदगी में तब शुरू हुआ जब 1974-75 में दिल्ली के एनएसडी में एडमीशन लिया। घर छोड़ कर दिल्ली जाना आसान नहीं था। तब थिएटर को सिर्फ शौक की चीज मानी जाती थी लेकिन इन हालातों के आगे कभी झुकी नहीं।एनएसडी के निर्देशक एब्राहम अलकाजी से थिएटर के गुर सीखें और फिर इसके बाद थिएटर में ही आगे बढ़ी। जिंदगी में कई मुकाम ऐसे आए जब थिएटर को लेकर बहुत दुविधा होती थी। इनमें शादी का समय भी था। एक लड़की को शादी के बाद बहुत बदलाव देखने को मिलते है लेकिन इसके लिए भी पहले से ही प्लानिंग कर ली थी।
शादी के बाद घर में ही अपना स्टूडियो खोल लिया, जिससे अपना खुद का ग्रुप बनाने में आसानी हुई। मेरा ग्रुप ‘द कंपनी’ 25 साल पहले ही शुरू हुआ और बहुत खुश हूं की इस ग्रुप के 20 लोग कई जगह काम करते है फिर भी अभी तक मेरी टीम में कोई बदलाव नहीं आया।
इन नामों में वंश भारदवाज, दीप ग्रेवाल, रमनजीत कौर ने बाहर भी काफी नाम कमाया है और ग्रुप से भी जुड़े हैं। अपने स्टूडेंट में माही गिल को भी बहुत याद करती हूं जो आजकल बॉलीवुड में शानदार अभिनय कर रही है।
-नीलम मान सिंह
एजूकेशन में भी पीछे नहीं बेटियां
देश की बेटियां एजूकेशन के मामले में भी किसी से पीछे नहीं हैं। स्टेज पर बेटियों को पुरस्कार पाते देख अभिभावकों की खुशी चेहरे और आंखों में साफ झलक रही थी। सेक्टर-36 स्थित नार्थ रीजन के टॉप गर्ल्स कालेज में शुमार एमसीएम डीएवी कालेज फॉर वुमन के वार्षिक समारोह में पढ़ाई, खेल और अन्य गतिविधियों में नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर पुरस्कार पाने वाली 435 होनहार छात्राओं को सम्मानित किया गया।
हुनर हो तो कम उम्र में भी मंजिल पाना मुश्किल नहीं है। एमसीएम में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा परमजोत इसका उदाहरण है। साल भर में इंटर कालेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर वोकल म्यूजिक में 10 से अधिक अवार्ड जीतने पर बेस्ट वोकलिस्ट घोषित किया गया।
श्रेया घोसाल को रोल मॉडल मानने वाली परमजोत वायस ऑफ पंजाब के टॉप 8 में स्थान बना चुकी है। इनका सपना एक बेहतरीन प्लेबैक सिंगर बनना है। अपनी सफलता का श्रेय टीचर्स और अपने अभिभावक पिता अशोक कुमार और मां सरोज बाला को देती हैं।