पंजाब को नसीहत दे चलती बनी नीति आयोग टीम

खबरें अभी तक। पंजाब सरकार की मांगों और अपीलों बारे नीति आयोग के आधिकारियों ने  पल्ला झाड़ लिया। सरकार को अपना घर खुद ठीक करने की नसीहत देकर टीम दिल्ली रवाना हो गई। नीति आयोग के उप चेयरमैन डा.

राजीव कुमार के नेतृत्व में आई टीम के साथ मुलाकात दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने केंद्रीय प्रयोजित स्कीमों के लिए 90:10 की हिस्सेदारी की बहाली के लिए पंजाब को ‘विशेष श्रेणी ’ का दर्जा देने की मांग की। इस के बाद वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और सूबे के आधिकारियों ने अलग -अलग विभागों की तरफ से विचार पेश किए।

सूत्रों अनुसार वित्त मंत्री की तरफ से गेहूं और धान को संभालने पर ही लगभग 1800 करोड़ रुपए खर्च होने की दलील के जवाब में नीति आयोग के सदस्यों ने स्पष्ट कहा कि पिछले बीस सालों से धान-गेहूं का फसली चक्कर तबदील करने की पंजाब सरकार को कोशिश करनी चाहिए थी। किसी ने यह फसले बीजने के लिए नहीं कहा था।

पंजाब के आधिकारियों की लम्बी प्रस्तुतीकरण कर नीति आयोग की टीम दस मिनट में अपनी बात कह कर चलती बनी। उन्होंने पंजाब सरकार को ठोस प्राजैकट बना कर बाद में बात करने और तीन महीने में इन प्रोजेक्टों की आलोचना करने की पेशकश की।

समिति में रमेश चंद भी शामिल थी जिस ने कम से कम समर्थन मूल्य बारे किसान समर्थकी रिपोर्ट दी थी। समय की कमी की दलील देते उस ने अपनी प्रैजेंटेशन वित्त मंत्री को सौंप कर ही काम चलाना बेहतर समझा

उन्होंने किसानों के कर्ज माफ करने और पराली को जलाने जाने से रोकनो के लिए किसानों को वित्तीय सहायता देने के लिए केंद्रीय सहायता और सिंचाई बुनियादी ढांचो के नवीनीकरन के लिए विशेष पैकेज की मांग की। कैप्टन ने सतह पानी की ओर कुशल तरीके साथ संभाल और प्रयोग के लिए केंद्रीय सहायता की जरूरत पर भी जोर दिया।

 

फिरोजपुर में पी.जी.आई. सैटेलाइट सैंटर के चलने में हो रही बहुत लंबे समय से देरी के मुद्दे  मुख्य मंत्री ने मीटिंग दौरान उठाया। मुख्यमंत्री ने मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण जल स्पलाई स्कीम को चलाने और रख -रखाव के लिए भी केंद्र की सहायता की मांग की।