बंगाल के वैज्ञानिकों के एक दल ने समुद्री घोंघे से बनाई कैंसर की दवा

घातक बीमारी कैंसर पर शोध कर रहे बंगाल के वैज्ञानिकों के एक दल ने इस बीमारी की दवा ढूंढ निकालने का दावा किया है। उनका कहना है कि समुद्र में पाए जाने वाले घोंघा की खास प्रजाति के शरीर में मिलने वाले तरल पदार्थ के इस्तेमाल से एक ऐसी दवा की खोज की है, जिससे कैंसर के रोग का इलाज संभव है। दवा के अविष्कारक वैज्ञानिक डॉ. शुभाशीष राय के अनुसार फिलहाल इस दवा का परीक्षण छोटे जीव व प्राणियों पर किया गया है, जो सफल रहा है।

जल्द ही मानव पर भी इस दवा का परीक्षण किया जाएगा। भारत सरकार ने शोध कार्य में जुटे वैज्ञानिकों के दल डॉ. शुभाशीष राय, उत्तम दत्त, पार्थसारथी दासगुप्ता व देवकी घोष समेत अन्य वैज्ञानिकों को इसकी स्वीकृति दे दी है। वैज्ञानिकों ने दवा का पेटेंट भी करा लिया है।

पश्चिम बंगाल प्राणी व मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के उपाचार्य डॉ. पुर्णेंदु विश्वास ने बताया कि ट्यूमर सेल से एक प्रकार का रसायन का रिसाव होता है, जो कैंसर के सेल्स को बढ़ाने में सहायक भूमिका निभाता है। उक्त घोंघे के शरीर में पाये जाने वाले तरल पदार्थ के मिश्रण से बनी दवा उक्त हानिकारक रसायन को बनने से रोकने की क्षमता रखती है। उन्होंने भविष्य में इस दवा का मानव पर सफल परीक्षण होने की उम्मीद भी जताई है।

2005 में शुरू हुआ था शोध-

शोध समूह के वैज्ञानिक देवकी घोष के अनुसार साल 2005 में चित्तरंजन कैंसर रिसर्च सेंटर के सहयोग से डॉ. सुभाशीष राय के नेतृत्व में शोधकार्य शुरू हुआ। दस साल तक लगातार शोध के बाद हमें इस उद्देश्य में सफलता मिली है। वैज्ञानिकों के अनुसार सुंदरवन के समुद्री इलाके में पाए जाने वाले घोंघे पर शोध कार्य शुरू किया गया। इस घोंघे का नाम टेलीस्कॉपियम है। टेलीस्कॉप जैसा दिखने के कारण इसे यह नाम दिया गया है।