सरकारी योजनाओं में बढ़ी लोगों की भागीदारी, रोजगार भी बढ़े

खबरें अभी तक। नौ फरवरी को जारी इंडिया स्किल्स रिपोर्ट-2018 अगर एक तरफ भारत में कौशल विकास के लिए वर्तमान सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए और भारत को भविष्य में सर्वाधिक श्रम कुशल देश बनाने का लक्ष्य रखती है तो साथ ही लैंगिक असमानता और कम कुशल श्रमिकों के मुद्दे पर अभी और मेहनत करने की जरूरत को भी सामान रूप से रेखांकित करती है। दो प्रमुख सर्वेक्षणों व्हीबॉक्स रोजगार योग्यता परीक्षण (वेस्ट) और भारत भर्ती आशय सर्वेक्षण पर आधारित यह रिपोर्ट बताती है कि 2014 से 2017 के बीच दो से 2.6 करोड़ लोगों को सरकारी योजनाओं, बढ़ी हुई भर्तियों, बढ़ती उद्यमशीलता और स्वतंत्र कार्य के परिणामस्वरूप लाभकारी रोजगार की प्राप्ति हुई।

व्हीबॉक्स रोजगार योग्यता परीक्षण में जहां ऑनलाइन सर्वेक्षण के माध्यम से 29 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों के 5,200 संस्थानों (आइआइटी, आइआइएम और इनके जैसे बाकी प्रीमियर संस्थान शामिल नहीं हैं) के 5,100,000 छात्रों की रोजगार कुशलता का आकलन किया गया है, वहीं पीपुल्स स्ट्रांग द्वारा किए भर्ती आशय सर्वेक्षण में भविष्य में होने वाली भर्तियों के रुझानों के लिए 15 विभिन्न क्षेत्रों में 1000 से अधिक संगठनों से कई मुद्दों जैसे भविष्य में कर्मचारियों की आवश्यकता, भविष्य की कौशल आवश्यकताएं, प्रशिक्षुओं के संबंध में जागरूकता आदि पर जवाबों को भी आमंत्रित किया गया है।

वेस्ट के निष्कर्ष बताते हैं कि नौकरी के लिए योग्यता के स्कोर में बढ़ोतरी इस साल भी जारी रही। इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के इस पांचवें संस्करण की तुलना अगर इसके पहले संस्करण-2014 से करें तो इसमें 11 प्रतिशत से भी ज्यादा की वृद्धि हुई है जो अब 45.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है। नौकरी योग्यता स्कोर के आधार पर प्रदेशों की रैंकिंग के मामले में दिल्ली, जहां दो तिहाई छात्र रोजगार योग्य हैं, सबसे ऊपर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में रोजगार की योग्यता में सभी राज्यों के छात्रों में सुधार हुआ है।

इंजीनियरिंग के छात्रों की रोजगार कुशलता में सुधार के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की जहां प्रशंसा की गई है, वहीं एमबीए के छात्रों में कम रोजगार कुशलता के लिए चयन प्रक्रिया पर सवाल भी खड़े किए गए हैं। इंजीनियरिंग के अतिरिक्त बीफार्मा, एमसीए जैसे अन्य रोजगारपरक विषयों के साथ बीएससी, बीए के छात्रों की रोजगार कुशलता भी बढ़ रही है, जो वाकई प्रशंसनीय है। लेकिन इन उज्ज्वल पक्षों के इतर कुछ स्याह पक्ष भी हैं। मसलन प्रारंभिक चरण में स्कूल छोड़कर श्रमिकों में शामिल होने वालों को रोजगार कुशल बनाना अभी भी एक चुनौती है।

आइटीआइ और पॉलीटेक्निक संस्थानों से निकलने वालों की रोजगार क्षमता अभी भी काफी कम है, जो यह बताती है कि राष्ट्रीय प्रशिक्षण परिषद द्वारा किए जा रहे प्रयास अभी तक नतीजे नहीं दिखा रहे हैं। आइटीआइ से निकले छात्रों की रोजगार कुशलता में कमी एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है, क्योंकि कौशल विकास मंत्रलय भी मानता है कि देश में प्रारंभिक चरणों में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों के कौशल विकास में आइटीआइ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अभी भी देश में उच्च शिक्षा की दर बहुत ज्यादा नहीं है तब आइटीआइ संस्थान कौशल प्रदान करने में असफल रहते हैं तो इनका दुष्प्रभाव केंद्र सरकार की कई योजनाओं जैसे ‘मेक इन इंडिया’ पर पड़ना स्वाभाविक है।