लाला लाजपत राय ने रखी थी PNB की नींव, आज बैंक की साख दांव पर

पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले ने न सिर्फ इस बैंक की साख को बट्टा लगा है। बल्कि उन पंजाबियों को भी इससे गहरा झटका पहुंचा है, जिनकी जिंदगी का अहम हिस्सा था ये बैंक। खासतौर पर उन पंजाबियों के लिए ये घोटाला एक बदनुमा दाग़ की तरह है, जिनका जन्म रावलपिंडी में हुआ था। वो आज टूटे हुए हैं कि कभी पंजाबियों की शान इस बैंक की आज ऐसी बदनामी हो रही है।

स्वदेशी आंदोलन से पड़ी बैंक की नींव-

इस बैंक का इतिहास जानकर हर किसी को फ़क्र होगा। 123 साल पुराने इस बैंक की स्थापना से जुड़ी कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। स्वदेशी आंदोलन से जुड़े लोगों ने इस बैंक की नींव तब ही डाल दी थी, जब महात्मा गांधी जंग-ए-आजादी में नहीं कूदे थे। इस बैंक की स्थापना 1894 में हुई। सरदार दयाल सिंह मजीठिया, लाला हरकिशन लाल, लाला लाल चंद और लाला ढोलन दास इसके फाउंडर मेंबर्स थे।

इन लोगों ने पहले ही ये भांप लिया था कि अगर देश को आजादी के बाद तरक्की करनी है, तो उसे खुद के वित्तीय संसाधन खड़े करने होंगे। इसी सोच के साथ 123 साल पहले इस बैंक की नींव रखी गई थी। इन चारों के अलावा भारतीय स्वतंत्रता से जुड़े लाला लाजपत राय भी इस बैंक के साथ लंबे वक्त तक जुड़े रहे। वो ऐसे पहले शख्स थे, जिसने लाहौर के अनारकली इलाके में आर्य समाज मंदिर के पास खुले बैंक की पहली ब्रांच में कार्यालय में पहला खाता खोला। लाला लाजपत राय ने जहां बैंक में अपना खाता खोला तो वहीं बतौर मैनेजर उनके छोटे भाई ने बैंक की कमान संभाली।

देश के इन प्रधानमंत्रियों का भी था खाता-

देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी ने भी इस बैंक में खाता खोला था। इसके अलावा जलियांवाला बाग कमेटी से जुड़े सदस्यों ने भी इस बैंक पर भरोसा जताया। धीरे-धीरे इसमें खाता खोलने वालों की संख्या और नाम भी बढ़ते गए।