रोटोमैक केस में बड़ा खुलासा- गेहूं कारोबार के नाम पर हो रहा था काला धंधा

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. ये केस रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी, साधना कोठारी और राहुल कोठारी समेत अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया गया है. बैंक की शिकायत के बाद आरोपियों से सीबीआई ने पूछताछ भी की है. जिसके बाद सीबीआई ने कई अहम खुलासे किए हैं.

सीबीआई ने बताया है कि बैंक लोन लेकर वापस न लौटाने का ये खेल रोटोमैक कंपनी 2008 से कर रही थी. जांच एजेंसी ने ये भी बताया कि बैंकों से जिस काम के लिए कंपनी को लोन जारी किया गया था, उसका इस्तेमाल वहां किया ही नहीं गया.

सिंगापुर से दिखाया गेहूं का ऑर्डर-

सीबीआआई ने बताया है कि रोटोमैक कंपनी को सिंगापुर से एक ऑर्डर मिला था. जिसके तहत उसे वहां बरगाडिया ब्रदर्स लिमिटेड कंपनी को गेहूं एक्सपोर्ट करना था. लेकिन ऐसा कोई एक्सपोर्ट किया ही नहीं गया. इसके बाद सिंगापुर स्थित बरगाडिया ब्रदर्स कंपनी ने रोटोमैक को पैसा वापस भेज दिया.

जांच में ये बात सामने आई है कि कोठारी की कंपनी ने बैंक लोन का गलत तरीके से इस्तेमाल किया. साथ ही फेमा गाइडलाइंस का भी उल्लंघन किया. ये बात भी सामने आई है कि रोटोमैक कंपनी का लेन-देन चुनिंदा खरीददारों और विक्रेता कंपनियों के साथ पाया गया है.

 ऐसे कमाया पैसा-

जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. कंपनी लोन के पैसे को किसी कारोबार के नाम पर विदेश भेजती थी और फिर वापस मंगा लेती थी. इस तरीके से रोटोमैक करेंसी रेट में फर्क होने का लाभ उठा रही थी और पैसा कमा रही थी. यानी भारत में रुपये का दाम कम या ज्यादा होने पर पैसा विदेश भेजा जाता और फिर उसे वापस किया जाता, जिससे करेंसी रेट बढ़ने से कमाई होती थी.

ये काला खेल खेलने के लिए बाकायदा फर्जी कंपनियां बनाई गई थीं. फर्जी दस्तावेजों के साथ बैंक अधिकारियों की सांठ-गांठ से ये पूरा खेल चल रहा था.

बता दें कि कोठारी पर बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सात बैंकों से 2919 करोड़ का कर्ज लेकर गटक जाने का आरोप है. इस रकम पर ब्याज लगाकर कर जोड़ा जाए तो कोठारी पर सात बैंकों की कुल देनदारी 3695 करोड़ रुपये बैठती है