पेट्रोल और डीजल की कीमतें 4 साल के उच्च स्तर पर पहुंची

खबरें अभी तक। पेट्रोल और डीजल की कीमतें 4 साल के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी हैं. बुधवार को एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको मुंबई में 81.24 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. दिल्ली की बात करें, तो यहां आपको 73.38 प्रति लीटर मिल रहा है.

डीजल का भी यही हाल है. मुंबई में एक लीटर डीजल 68.39 रुपये में मिल रहा है. वहीं, दिल्ली में 64.22 रुपये प्रति लीटर डीजल मिल रहा है. कुछ महीनों पहले जिस दाम पर पेट्रोल मिलता था, उस दाम पर डीजल पहुंच गया है. और फिलहाल इन बढ़ती कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद ना के बराबर है.

आगे हम बता रहे हैं कि आख‍िर क्यों फिलहाल आपको पेट्रोल और डीजल की कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद कम है. इसकी तीन वजहे हैं.

जीएसटी के तहत नहीं आ रहा पेट्रोल: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को बताया कि राज्य पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि रियल इस्टेट को जीएसटी में लाने के बाद पेट्रोल और डीजल को इसके दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है.

वित्त मंत्री के बयान से साफ हो गया है कि फिलहाल पेट्रोल-डीजल जीएसटी के तहत नहीं आएगा और इससे आप जो उम्मीद पाले बैठे थे कि कीमतें कम होंगी, वह धूमिल हो गई हैं.

कच्चे तेल की कीमतें आसमान पर : देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें जो लगातार बढ़ रही हैं, उसके लिए कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें जिम्मेदार हैं. इंडियन ऑयल कंपनी के मुताबिक कंपनी ने एक बैरल कच्चे तेल और इसके भाड़े पर 7 फरवरी को 79.02 डॉलर खर्च किए हैं, जो कि करीब 5 हजार रुपये है.

विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में चल रही ये रैली फिलहाल थमने का नाम नहीं लेगी और इसमें आगे भी बढ़ोतरी हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की बजाय आपके लिए दिन-प्रतिदिन महंगा होता जाएगा.

एक्साइज ड्यूटी घटने की उम्मीद खत्म :इस बजट से आम आदमी की सबसे बड़ी उम्मीद थी कि सरकार एक्साइज ड्यूटी घटाएगी और इससे पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से काफी ज्यादा राहत मिलेगी, लेक‍िन ऐसा हुआ नहीं. सरकार ने बजट के दिन एक्साइज ड्यूटी घटाई जरूर, लेक‍िन रोड सेस लगाकर उसे बराबर कर दिया.

इससे सरकार ने एक साफ संदेश दिया है कि वह एक्साइज ड्यूटी घटाकर अपने राजस्व का नुकसान नहीं उठा सकती है. इसकी वजह से एक्साइज ड्यूटी घटने की उम्मीद भी ना के बराबर है.

ऐसे में जो विकल्प बच जाते हैं. वह यही हैं कि महाराष्ट्र और गुजरात की तरह ही अन्य राज्य भी वैट में कटौती करें, ताकि आम आदमी को पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत दिलाई जा सके.

इसके अलावा एक रास्ता यह भी निकाला जा सकता है कि तेल कंपनियां अपने स्तर पर कीमतों में कटौती करे. इसकी उम्मीद इसलिए जताई जा रही है क्योंकि तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है. ऐसे में सरकार तेल कंपनियों को आगे खड़ा कर सकती है.